नई दिल्ली। कोरोना से लड़ाई के दौरान देश में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित रखने के लिए देश भर में लॉकडाउन के दौरान भी कोयले का उत्पादन जारी रहेगा। देश भर के सभी कोयला उत्पादक राज्य की खदानों को कोयला सचिव की तरफ से ये निर्देश जारी किए गए हैं। यह नियम निजी कोयला खदान पर भी लागू होगा।
बिजली की कटौती से कोरोना के फैलने का डर पैदा हो सकता है
कोयला उत्पादन आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में आता है जिसे देखते हुए यह निर्देश जारी किया गया है। कोरोना संकट की वजह से सरकार की तरफ से आगामी 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर दिया गया है और हालात काबू में नहीं आने पर आगे भी इस प्रकार की स्थिति की संभावना बन सकती है। ऐसे में, बिजली की कटौती से कोरोना के फैलने का डर पैदा हो सकता है और अस्पतालों में इलाज भी प्रभावित हो सकता है।
कोयले की कमी से बिजली उत्पादन में कमी आ सकती है
आने वाले समय में गर्मी के बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग बढ़ जाएगी और कोयले की कमी से बिजली उत्पादन में कमी आ सकती है। क्योंकि कोरोना के विश्व स्तरीय महामारी बनने के बाद फिलहाल कोयले का आयात भी अगले दो-तीन माह तक आसान नहीं दिख रहा है। वित्त वर्ष 2018-19 में बिजली उत्पादन के लिए भारत में 23.52 करोड़ टन कोयले का आयात किया गया जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह आयात 20.87 करोड़ टन था। भारत आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से कोयले का आय़ात करता है।
लॉकडाउन में भी कोयले का रिकार्ड उत्पादन
कोयला मंत्रालय के मुताबिक लॉकडाउन में भी कोल इंडिया व अन्य खदान कोयले के उत्पादन में जी-जान से लगे हैं तभी तो गत 20 मार्च को कोल इंडिया की तरफ से एक दिन में 31.7 लाख टन कोयले का रिकार्ड उत्पादन किया गया। मंत्रालय के मुताबिक अभी बिजली उत्पादक कंपनियों के पास औसतन 23 दिनों का कोयला स्टॉक है। चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया को 66 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। कोयले के कुल उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 84 फीसद है।
खदान में काम पर जाने वाले श्रमिकों को स्थानीय प्रशासन द्वारा रोका जा रहा
हालांकि विभिन्न राज्यों से मंत्रालय को यह शिकायत मिल रही है कि खदान में काम पर जाने वाले श्रमिकों को स्थानीय प्रशासन द्वारा रोका जा रहा है जिससे कोयले के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
कोरोना से लड़ाई के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग को छोड़ सभी प्रकार के उत्पादन कार्य पर रोक
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से लड़ाई के दौरान आवश्यक मैन्यूफैक्चरिंग को छोड़ सभी प्रकार के उत्पादन कार्य पर रोक लग गया है जिससे बिजली की मांग अगले महीने पिछले साल के अप्रैल के मुकाबले कम रह सकती है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी माह में बिजली की पीक मांग 177,158 मेगावाट की थी।